Shiv Parvati Vivah Katha जानिए हिंदी में: भक्ति और बिस्वास का प्रतिक

शिव और पार्वती हिन्दू धर्म में सबसे पूजनीय देवी-देवताओ में से एक है। जिनकी जोड़ी पुरे बिस्वो में प्रसिद्ध है। भगबान शिव योगिओ के देवता है जो की परिबर्तन और रुपांतरणं जैसी के प्रतिक है। और देवी पार्बती को हिन्दू धर्म में कई नाम से जाना जाता है जैसे की दुर्गा, सक्ति,काली ऐसे बिबिध नाम है देवी पार्बती का।

देवी पार्वती ने भगबान शिव को पति परमेस्वर के रूप में पाने के लिए कई कठोर तपस्या की। अंत में देवी पार्वती ने उनके दृढ़ संकल्प के माध्यम से भगबान शिव का हृदय जीत लिए। और Shiv Parvati Vivah के दौरान इस मंगल कार्य में देवता और असुर भी शामिल थे।

शिव और पार्वती की प्रेम काहानी हमें त्याग और समर्पण का सन्देश देती है। और हमें प्रेरित करती है की सच्चा प्रेम किसी भी कठिनाई को पारकर सकता है।

हामारे हिन्दू पौराणिक कथाओ में भगबान शिव, ब्रम्हा और बिस्णु को सबसे सक्तिसाली माना जाता है। उनकी मुलाकात और विवाह के बारे में शिव पुराण, स्कंध पुराण और कई ग्रंथो में उल्लेख किआ गया है।

पैर आज हम जानेंगे भगबान शिव और पार्वती की प्रेम कहानी के बिसय में, उनकी विवाह के बारे में, इस सादी के दौरान क्या क्या मुस्किले आइ उसके बारे में और जानेंगे की ये काहानी से हमें क्या सीखने को मिलती है।

ये काहानी है भगबान शिव और देबि पार्वती की मुलाकात की

देवी पार्वती पिछले जन्म में दक्ष्य प्रजापति की पुत्री थी। और उन्हें शिव की पत्नी बनने की आसीर्बाद मिली थी। पिछले जन्म में सती के देह त्याग के बाद भगबान शिव हिमालय पर्बत पैर ध्यान साधना सुरु किए थे और सती का जन्म हिमालय पुत्री पार्वती के रूप में हुआ था। ये जन्म में भी देवी पार्वती ने भगबान शिव को अपने पति के रूप में स्वीकार कर लिए थे।

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पार्वती का तपस्या

देवी पार्वती ने बाल्य बस्ता से ही भगबान शिव को अपने पति के रूप में स्वीकार कर लिए थे। सती ने बरसो तक कठोर तपस्या की, ताकि शिव का ध्यान भांग हो जाए। और तपस्या के साथ उन्हें कई परिख्या भी देनी पड़ी, जानिए आगे।

देवताओ की प्राथना

और उसी समय में असुर के राजा तारकासुर ने देवताओ के एक एक करके पराजित करके उन्हें निशास्त्र कर देता था। और तारकासुर का बढ़ शिव-पार्वती के पुत्र के स्वरा किआ जा सकता था। जिसके लिए देवताओ ने पार्वती को शिव से विवाह करने के लिए प्रोस्ताहित किआ, ताकि शिव और पार्वती का मिलन से एक महान योद्धा जन्म हो सके।

कामदेव का शिव की तपस्या भंग करना

जब भगबान शिव पार्वती के तपस्या से प्रभाबित नहीं हुए तो कामदेव को शिव की तपस्या भंग करने के लिए आदेश दिआ गया, कामदेव ने पुष्प बाण से शिव के ऊपर आघात किआ, जिसे की उनकी तीसरी आँख खोल गयी और कामदेव जलकर भस्म हो गए, इसके बाद भगबान शिव ने देवी पारवती की परिख्या ली थी।

भगबान शिव ने ली परिख्या

भगबान शिव एक साधारण साधु का रूप धारण करके उनके पास गए और उन्हें काहा की शिव एक जटिल स्वोभाब के योगी है, और वो विवाह के लिए उपयोग नहीं है, पैर देवी ने उन्हें पेहेचान लिए और अपनी निस्टा को साबित किए।

Shiv Parvati Vivah Katha

ये कथा हमें सिखाती है की प्रेम में संयम, तपस्या और समपर्ण का बिसेस महोत्वो है। सती पार्वती के प्रेम और भक्ति ने भगबान शिव को प्रभाबित किआ। और भगबान शिव समझ गए की उनका मिलन ब्रम्हांड की संतुलन को बजाय रखने के लिए आबस्यक है। उन्हें एहसास हुआ की देवी पार्वती सती का स्वोरुप है।

जिसके बाद Shiv Parvati Vivah को ख़ुशी के साथ मनाया गया। बिबाह के समारोहों में सभी देवी-देवताओ और रुसी-मुनिओ ने शामिल हुए। भगबान शिव ने अपने सभी गणो जैसे की भुत, प्रेत पिसाच और अन्य साधु जोनो के साथ विवाह समारोहों में पहुंचे। उनके इस बिचित्र बारात को देख कर सभी हैरान थे, परन्तु देवी पार्वती ने सबको श्रद्धा और प्रेम से स्वीकार किए।

शिव पार्वती के प्रेम काहानी हामे कैसे प्रेरित कर सकती है

शिव और सती की प्रेम काहानी समर्पण और आध्यात्मिकता का परिचय है। ये प्रेम काहानी से हम प्रेम और तपस्या का महत्वो, धैर्य और सृढ़ता, संतुलन दृस्टीकन और जीबन में त्याग का महोत्वो जैसे कई और ज्ञान सीखने को मिलती है।

जीबन में सीखने के लिए तो कई सारे चीजे है, पैर सबाल ये है की हाम वो ज्ञान को किस तरह से देखते है, और कैसे उस सिख को जीबन में लागु कर सकते है।
शिव और पार्वती की प्रेम काहानी हामे बताती है की सच्चे प्रेम के लिए केबल भाबनाये ही नहीं, बल्कि त्याग, धैर्य और दृढ़ता की अबस्यकता होती है। इसी प्रकार से हमें ये कहानी प्रेरित करती है और बताती है की जीबन में आने बाली हर कठिनाई का सामना दृढ़ता से करे।

Shiv Parvati Vivah में किसकी पूजा हुई थी

Shiv Parvati Vivah में की गयी पूजा बिभिर्न देवी-देवताओ और तवो की महिमा को दर्शाता है। विवाह के दौरान यहाँ पे नंदी की पूजा, अग्नि देव की पूजा, सप्तऋषिओ की पूजा, बिस्णु भगबान की पूजा, चंद्र देव और सूर्य देव की पूजा, और कुबेर जैसे देवताओ की पूजा की गई थी।

विवाह के दौरान जितने भी देवताओ की पूजा की गई ये इस बात को दर्शाता है की सभी तत्वों का सन्मान और पूजा आबस्यक है। और ये पूजा हमें ये भी सिखाती है की किसी भी सुभ कार्य को करने से पेहेले बिभिर्न सत्की का पूजा करना आबस्यक है। ताकि वो कार्य मंगल मेयो हो।

हिन्दू पौराणिक कथाओ में Shiv Parvati Vivah का क्या महोत्वो है

भगबान शिव को सृस्टि का सहांरक और देवी पार्वती को ममता की देवी माना गया है। इन दोनों का मिलन से सृस्टि का सन्तुलन और समृद्धि बजाय रेहेति है। हिन्दू रीती-रिबाज के अनुसार भक्तजनो ” ओम नमः सिबाय ” और ” ओम पार्वती पतये नमः ” जैसे मंत्र जप करते है।

शिव पार्वती विवाह कथा बिसेस रूप से कासी में महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। और ये चीज़ जनसमाज को सिखाती है की संतुलन और एकता के बिना सृस्टि सम्भब नहीं है।

ये सीख मिलती है Shiv Parvati Vivah कथा से

Shiv Parvati Vivah कथा हमें प्रेम, बिस्वास, त्याग,धैर्य और संतुलन जैसी महत्व्य्पूर्ण सीखा देता है। और हमें बताता है की सच्चा प्रेम किसी भी कठिनाई से ऊपर उठ सकता है। और अगर आज के समाज में किसी रिश्ते में धैर्य और समर्पण आ गया तो वो रिस्ता मजबूत और अटूट बन सकता है।

5 ऐसी सिख्या जो की हमें शिव और पार्वती का मिलन से सीखने को मिलती है।
1 – प्रेम और बिस्वास का महत्वो
2 – तपस्या और समर्पण का महत्व्य
3- धैर्य और सहनशीलता
4 – स्त्री और पुरुष का समानोवो
5- आध्यात्मिकता और सांसारिकता का संतुलन

भक्ति और बिस्वास का प्रतिक

शिव पार्वती विवाह भक्ति और बिस्वास का अद्वितीय प्रतिक है। ये हमें सिखाता है की भक्ति से हर असम्भब को सम्भब किआ जा सकता है। इस बिबाह को नजर में रखते हुए हम ये केहे सकते है की जीबन के प्रत्येक पेहलू में भक्ति और बिस्वास का महत्व है। और ये चीज़ ही हमें जीबन में सच्चे सुख और सन्ति की तरफ ले जाता है।

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