2025 की शास्त्र केहे रहा है की, इस बार की shani jayanti पर सुबह 5:25 मिनट से लेकर 5:32 मिनट तक यानि की ये 7 मिनट में एक अच्छा योग बन रहा है। जो ब्यक्ति इन्ही 7 मिनट के अंदर shani dev ki puja करेगा, वो shani dev ki krupa प्राप्त करेगा।
इसी दिन को ही भगबान shani dev ki janm हुआ था, और इन्हे न्याय और कर्मफल की देवता भी कहा जाता है। और ऐसा मानागया है की जितने भी लोग इस दिन भक्ति के साथ उपबास करते है, उन्हें मनचाहा आसीर्बाद मिलता है।
ऐसा मान्यता है की shani jayanti 2025 पर कुछ बिसेस चीजों का दान करने से, शनि देव प्रसन होते है। और उनकी कोप से मुक्ति मिलती है।
Shani Jayanti 2025 में कब है?
हमारे देश में हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से shani jayanti हर साल जेस्ट माह की अमबस्या को पालन किआ जाता है, पर इस साल 2025 में 27 मई मंगलबार को shani jayanti ka parb पालन किआ जायेगा। इस सुभ दिन के अबसर पर हर एक मंदिर में भगबान शनि की बिसेस पूजा की जाती है।

Shani Jayanti पर सुभ मुहूर्त
27 मई 2025 अमाबस्य तिथि को shani jayanti ka parb मनाई जाएगी, ये खास तिथि की आरम्भ 26 मई 2025 की दोपहर 12:11 बजे से सुरु होकर अगले दिन यानि 27 मई को 08:31 मिनट पर समाप्त होगा। ज्योतिषी बिद्या के हिसाब से 27 मई को shani jayanti मनाई जाएगी, और इसकी अभिजीत मुहूर्त होगा दोपहर की 11:51 से लेकर दोपहर 12:46 बजे तक।
Shani Jayanti 2025 पूजन बिधि
shani jayanti vrat पर सुबह ब्रम्ह मुहूर्त में उठ कर स्नान करे और नै बस्त्र धारण करके भगबान shani dev ki mandir जाए, फिर शनि देव के ऊपर सरसो का तेल चढ़ाए, तेल के साथ साथ भगबान को तिल,लौंग,और नील फूल अर्पित करे, और फिर भगबान शनि देव की सामने दीपक जला कर शनि बीज मंत्र ( “ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः” ) जप करे। अंतिम में shani dev ki arati करके पूजन के दौरान होने बलि गलतिओ की क्ष्यमा मांगे।
Shani Jayanti पर राशि के हिसाब से करे दान
मेष राशि:-
shani jayanti parb के दिन मेष राशि के ब्यक्ति बाले लोग काले तिल और उड़द दाल का दान करना चाहिए। ये दान करने से भक्तो को सभी दोष से मुक्ति पाने का मार्ग दिखाई देती है।
बृषभ राशि:-
बृषभ राशि के ब्यक्ति लोगो को shani jayanti ke din साम की समय में पीपल के पेड़ की पूजा करना चाहिए, पूजा के साथ जल चढ़ाके दीपक जलाये। ये कार्य बृषभ राशि के ब्यक्ति लोगो को shani dev ki krupa प्राप्त करने में सहायता देगी।
मिथुन राशि:-
मिथुन राशि के ब्यक्ति गण शनि जयंती के दिन काले कपडे पहनकर “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का जाप 108 बार करना चाहिए। इसे उन लोगो को shani dev ki prabhab से राहत मिलेगी।
कर्क राशि:-
कर्क राशि के ब्यक्ति गण शनि जयंती के दिन नीले रंग के बस्त्र दान करे और साथ ही भगबान का पूजा करके ध्यान करे।
सिंह राशि:-
सिंह राशि के ब्यक्ति बिसेस लोगो को मौसूमि फल और ढक्कन लगा हुआ जल का पात्र दान के रूप में देना चाहिए। इस उपाय को करने से आर्थिक परिसानी का संकट से मुक्ति मिलती है।
कन्या राशि:-
कन्या राशि के अंदर आने बाले लोग सरसो का तेल, ठंडा सरबत और हरे रंग का बस्त्र रूप में देना चाहिए। इसे मन सन्ति रहती है और परिबरिक सुख का बृद्धि होती है।
तुला राशि:-
ये दिन तुला राशि के ब्यक्ति गण काली गई को गुड़ लगा हुआ रोटी खिलाये और गरीब लोग को तली हुई पुड़िआ खिलाये। इस उपाय को करने से आर्थिक लाभ मिलेगा।
वृश्चिक राशि:-
वृश्चिक राशि के लोग इस दिन जल का दान करना चाहिए और इसके अलाबा जरूरतमंद बचो को पढाई की सामग्री देना चाहिए।
धनु राशि:-
धनु राशि के ब्यक्ति गण गरीबो को कम्बल और छाता दान में देना चाहिए। इस राशि के ब्यक्ति जब इस द्रब्य को दान करेंगे, इनके जीबन में धन, बैबाहिक जीबन में स्थिरता और बहुत ही जल्द जीबन में सफलता प्राप्त होगी।
मकर राशि:-
इसी दिन मकर राशि के ब्यक्ति गण किसी भी जरूरतमंद ब्यक्ति को उसकी अबस्यकता के अनुसार कोई भी बस्तु दान में देना चाहिए। इस तरीके की कार्य को सुबह मन जाता है।
कुम्भ राशि:-
कुम्भ राशि के जान को नील रंग के कपडे, लोहा और काले तिल का दान करना चाहिए। इस dan karya को करने से shani dev ki krupa प्राप्त होकर सभी कार्य में प्रगति देखने को मिलेगा।
मीन राशि:-
इस राशि के ब्यक्ति गण पिले रंग के फल, मिठाई और चावल का दान करना चाहिए। ये दान आपकी परिबार को सुख और समृद्धि प्रदान करेगी।
पंचांग बिबरन
- सूर्यादय 5:30 AM
- सूर्यास्त 7:12 PM
- चन्द्रास्त 7:49 PM
- ब्रम्ह मुहूर्त 4:03 AM से 4:44 AM
- बिजय मुहूर्त 2:36 PM से 3:31 PM
- गोधूलि मुहूर्त 7:11 PM से 7:31 PM
- निसिता मुहूर्त 11:58 PM से 12:39 PM
Shani Dev के सरल मंत्र
“ॐ शं शनैश्चराय नमः“
“ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः“
“ॐ शन्नो देविर्भिष्ठयः आपो भवन्तु पीतये। सय्योंरभीस्रवन्तुनः।।
Shani Dev Chalisa
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।
दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥
जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज।
करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज॥
जयति जयति शनिदेव दयाला।
करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥
चारि भुजा, तनु श्याम विराजै।
माथे रतन मुकुट छबि छाजै॥
परम विशाल मनोहर भाला।
टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला॥
कुण्डल श्रवण चमाचम चमके।
हिय माल मुक्तन मणि दमके॥
कर में गदा त्रिशूल कुठारा।
पल बिच करैं अरिहिं संहारा॥
पिंगल, कृष्णो, छाया नन्दन।
यम, कोणस्थ, रौद्र, दुखभंजन॥
सौरी, मन्द, शनी, दश नामा।
भानु पुत्र पूजहिं सब कामा॥
जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वैं जाहीं।
रंकहुँ राव करैं क्षण माहीं॥
पर्वतहू तृण होई निहारत।
तृणहू को पर्वत करि डारत॥
राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो।
कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो॥
बनहूँ में मृग कपट दिखाई।
मातु जानकी गई चुराई॥
लखनहिं शक्ति विकल करिडारा।
मचिगा दल में हाहाकारा॥
रावण की गति-मति बौराई।
रामचंद्र सों बैर बढ़ाई॥
दियो कीट करि कंचन लंका।
बजि बजरंग बीर की डंका॥
नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा।
चित्र मयूर निगलि गै हारा॥
हार नौलखा लाग्यो चोरी।
हाथ पैर डरवायो तोरी॥
भारी दशा निकृष्ट दिखायो।
तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो॥
विनय राग दीपक महं कीन्हयों।
तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों॥
हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी।
आपहुं भरे डोम घर पानी॥
तैसे नल पर दशा सिरानी।
भूंजी-मीन कूद गई पानी॥
श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई।
पारवती को सती कराई॥
तनिक विलोकत ही करि रीसा।
नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा॥
पांडव पर भै दशा तुम्हारी।
बची द्रौपदी होति उघारी॥
कौरव के भी गति मति मारयो।
युद्ध महाभारत करि डारयो॥
रवि कहं मुख महं धरि तत्काला।
लेकर कूदि परयो पाताला॥
शेष देव-लखि विनती लाई।
रवि को मुख ते दियो छुड़ाई॥
वाहन प्रभु के सात सुजाना।
जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना॥
जंबुक सिंह आदि नख धारी।
सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥
गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं।
हय ते सुख सम्पति उपजावैं॥
गर्दभ हानि करै बहु काजा।
सिंह सिद्धकर राज समाजा॥
जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै।
मृग दे कष्ट प्राण संहारै॥
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी।
चोरी आदि होय डर भारी॥
तैसहि चारि चरण यह नामा।
स्वर्ण लौह चांदी अरु तामा॥
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं।
धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं॥
समता ताम्र रजत शुभकारी।
स्वर्ण सर्व सर्व सुख मंगल भारी॥
जो यह शनि चरित्र नित गावै।
कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै॥
अद्भुत नाथ दिखावैं लीला।
करैं शत्रु के नशि बलि ढीला॥
जो पंडित सुयोग्य बुलवाई।
विधिवत शनि ग्रह शांति कराई॥
पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत।
दीप दान दै बहु सुख पावत॥
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा।
शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा॥
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