Buddhism History: भारत में बौद्ध धर्म की काहानी और बिरासत की स्तापना

Introduction

बौद्ध धर्म की शुरुआत 6वीं-5वीं सप्ताब्धि पेहेले गौतम बुद्ध की सिक्षाओ से सुरु हुआ था। बौद्ध धर्म की स्तापना सबसे पेहेले भारत में किआ गया था, बाद में अशोक सम्राट के शासन काल में ये धर्म एसिआ के बिभिर्न हिसे जैसे की चीन, जापान और श्रीलंका जैसे देशो में फेल गया।

बात करे गौतम बुद्ध की तो उनका जन्म 563 ईर्षा पूर्ब में हुआ था। और उनका असली नाम था सिद्धार्थ गौतम। बुद्ध ने इस समाज को चार आर्य सत्य और सस्टांगिक शिक्षा दी, जिसे की दुःख की समय में आप मुक्ति का मार्ग खोज सकते है।

ये रहे बौद्ध धर्म की कुछ खास बाते

  • गौतम बुद्ध ( सिद्धार्थ गौतम ) इनका जन्म साक्य बंस में हुआ था, और इन्होने 29 साल की उम्र में ही अपना घर छोड़ दिआ था।
  • इनका मृत्यु 483 ईर्षा पुर्ब में आज के उत्तर प्रदेश की कुशीनगर में हुई थी।
  • बौद्ध धर्म में अहिंसा का मार्ग बताया गया है।
  • बौद्ध धर्म की मुख्य सिख्याए की बात करे तो इसमें चार आर्य सत्य और सस्टांगिक शिक्षा दिआ गया है।
  • गौतम बुद्ध की चार आर्य सत्य:- दुख, दुख का कारन, दुख का निबरण और निबारण का मार्ग।
  • गौतम बुद्ध की सस्टांगिक शिक्षा:- सही दृस्टि, सही संकल्प, सही बानी, सही कर्म, सही अजिबिका, सही प्रयास, सही स्मृति और सही ध्यान।

Buddhism History में गौतम बुद्ध की काहानी

गौतम बुद्ध की काहानी की बात करे तो, इनका जन्म 563 ईसा पूर्व नेपाल के लुंबिनी में एक शाक्य वंश में हुआ था। एक बार क्या हुआ ना रानी महामाया, अपने पिता के घर प्रसव के लिए जा रही थीं। अचानक यात्रा के दौरान, वे लुंबिनी वन में एक वृक्ष के नीचे आराम की। वहीं, और वो दिन वैशाख पूर्णिमा था जब गौतम बुद्ध की जन्म होती है।

गौतम बुद्ध की जन्म से पेहेले रानी महामाया एक अद्भुत स्वप्न दिखते है, जहा की स्वर्ग से एक सफेद हाथी उतरकर उनके गर्भ में प्रवेश कर रहा है। जिसे की उस समय की एक ज्योतिषी ने भविष्यवाणी की, कि सिद्धार्थ गौतम या तो एक महान सम्राट बनेंगे या एक महान संत। पर राजा शुद्धोधन नहीं चाहतेथे की सिद्धार्थ एक संत बने इसीलिए उन्ह्नोने सिद्धार्थ को महल के भीतर सारि सुखमय जीवन प्रदान किया और संसार के दुख-दर्द से दूर रखा।

इनका वास्तविक नाम सिद्धार्थ गौतम था और इनके पिता राजा शुद्धोधन शाक्य गणराज्य का सासनकर्ता थे, और उनकी माता थी महामाया जो की कोशल राज्य की राजकुमारी थीं। पैर दुर्भाग्य बसत उनकी जन्म के कुछ दिनों बाद ही उनकी माता की देहान्त हो जाती है, और उसके बाद उनका पालन-पोषण उनकी मौसी महाप्रजापति गौतमी ने किया।

ध्यान देने बाली बात ये है की यह धर्म लगभग 2500 साल पहले भारत में उत्पन्न हुआ था। और फिर धीरे धीरे पुरे बिस्वो में प्रसिद्ध हो गया।

सत्य की खोज और ज्ञान प्राप्ति

जब 29 साल के उम्र में सिद्धार्थ महल से बाहर निकला, तब उसने 4 दृस्य देखा वृद्ध व्यक्ति, बीमार व्यक्ति, मृत शरीर और सन्यासी इन सभी को देखने के बाद सिद्धार्थ के मन में एक प्रश्न उठा की जीवन अस्थायी और दुख से भरा क्यों है? क्या इससे कोई मुक्ति है?
और इसी सबाल का जबाब ढूंढ़ने के लिए ही गौतम बुद्ध ने अपनी पत्नी यशोधरा और पुत्र राहुल को छोड़ दिया। उन्होंने अपने राजसी वस्त्र उतारकर सन्यासी का जीवन अपनाया।

सभी चीजों का त्याग करने के बाद सिद्धार्थ ने विभिन्न गुरुओं से शिक्षा ली और कठोर तपस्या की। लेकिन उन्हें लगा कि इससे ज्ञान की प्राप्ति संभव नहीं है। तब उन्होंने मध्यम मार्ग अपनाने का निर्णय लिया। और फिर उन्हने बिहार में एक बोधि वृक्ष के नीचे ध्यान लगाया। 35 वर्ष की आयु में ही, उन्हें “सम्यक ज्ञान” प्राप्त हुआ। जिसे की वो गौतम बुद्ध या “ज्ञानवान” कहलाए।
और इसके बाद उन्हने जाना की जीवन के दुखों से मुक्ति के लिए तृष्णा (इच्छा) का अंत करना आवश्यक है।

गौतम बुद्ध की सिक्षाऐं

बुद्ध धर्म की काहानी के मुताबिक गौतम बुद्ध, जिन्हें भगवान बुद्ध के नाम से सारा दुनिआ जानती है, उन्हने अपनी ज्ञान की मदत से बिस्वो में सभी को जीवन जीने का मार्ग दिखाया है। जरा नजर डालिये उनकी इन सभी प्रमुख शिक्षाओं के ऊपर:

1- चार आर्य सत्य

गौतम बुद्ध की चार आर्य सत्य हैं:

  • दु:ख – जीवन में हर इंसान कभी न कभी,किसी न किसी रूप में दु:ख का अनुभव करता है।
  • दु:ख का कारण – दु:ख का कारण इच्छा या लालसा है।
  • दु:ख का निवारण – इच्छा या लालसा का अंत करने से दु:ख समाप्त हो सकता है।
  • दु:ख समाप्ति का मार्ग – दु:ख दूर करने के लिए अष्टांगिक मार्ग का पालन करना चाहिए।

2- अष्टांगिक मार्ग

हामारे इस समाज को अष्टांगिक मार्ग जीवन जीने का सही तरीका बताता है:

  • 1- सम्यक दृष्टि – सत्य को समझने की कोसिस करना।
  • 2- सम्यक संकल्प – जीबन में अच्छे उदेस्य और बिचार रखना।
  • 3- सम्यक वाणी – हमेशा सत्य और प्रिय वचन बोलना।
  • 4- सम्यक कर्म – हर पल सही कर्म करना।
  • 5- सम्यक आजीविका – ईमानदारी से जीवन यापन करना।
  • 6- सम्यक प्रयास – बुरे बिचार को दूर करना और अच्छी बिचार को अपनाना।
  • 7- सम्यक स्मृति – हमेशा अपना कार्य और बिचार पैर ध्यान रखना।
  • 8- सम्यक समाधि – ध्यान की माध्यम से अपने मन को स्तिर रखना।

3- पंचशील

हर एक ब्यक्ति को बुद्ध के पांच नैतिक नियमों का पालन करना चाहिए:

  • 1- हमेशा जीव हत्या से बचें।
  • 2- जीबन में कभी भी चोरी न करें।
  • 3- हर बक्त असत्य भाषण से बचें।
  • 4- असामाजिक या अनुचित यौन संबंध न रखें।
  • 5- हर एक ब्यक्ति नशीले पदार्थों से दूर रहें।

इसके अलाबा भी Buddhism History में भगबान बुद्ध की ज्ञान के बारे में और कई पॉइंट्स बताया गया है। जैसे की
मध्य मार्ग– भगबान बुद्ध ने भोग और कठोर तपस्या, को अस्वीकार किया और “मध्य मार्ग” अप्पनइ, जो संतुलित जीवन जीने का रास्ता है।
अनित्य– बुद्ध ने कहा कि संसार में हर वस्तु और भावना समय के साथ बदलती है। इसे समझने से मोह और दुःख से मुक्ति मिलती है।
निर्वाण – निर्वाण का अर्थ है तृष्णा और मोह से मुक्ति।
करुणा और अहिंसा– भगबान बुद्ध ने हर पल सभी प्राणियों के प्रति करुणा और अहिंसा का प्रचार किया।

बुद्ध धर्म के सम्प्रदाय

जैसे की हमने पहले भी बताया है, बुद्ध धर्म को भगवान गौतम बुद्ध ने 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व में स्तापना की थी। यह धर्म अहिंसा और करुणा पर आधारित है। देखते देखते बौद्ध धर्म का विकास अनेक सम्प्रदायों में होने लगा, जो की अलग अलग सम्प्रदाय के बिसिस्ट नागरिक थे। तो जानिए बौद्ध धर्म के प्रमुख सम्प्रदायों और उनकी विशेषताओं के बारे में।

1- हीनयान (थेरवाद)

हीनयान को बौद्ध धर्म का सबसे प्राचीन और मूल के रूप माना जाता है, और इसे थेरवाद भी कहा जाता है। यह सम्प्रदाय ( हीनयान ) मुख्यतः दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों में ज्यादा प्रचलित है, जैसे की श्रीलंका, थाईलैंड, और कंबोडिया।

इसकी कुछ विशेषताएँ:

हीनयान (थेरवाद) सम्प्रदाय भगवान बुद्ध की शिक्षाओं पर आधारित है।

इसका मुख्य धर्मग्रंथ हैपाली ग्रंथ “त्रिपिटक“।

2- महायान

हीनयान सम्प्रदाय का बिकाश के बाद ही,महायान सम्प्रदाय का विकास हुआ, और यह सम्प्रदाय उत्तर और पूर्वी एशिया में अधिक प्रचलित है, जैसे चीन, जापान और कोरिया। और महायान सम्प्रदाय करुणा पर आधारित है।

इसकी कुछ विशेषताएँ:

महायान सम्प्रदाय में बोधिसत्त्व का आदर्श बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है।

संस्कृत ग्रंथ “सूत्पिटक” इसके मुख्य ग्रंथ हैं।

महायान सम्प्रदाय भगवान बुद्ध को शिक्षक के साथ ईश्वरीय शक्ति के रूप में पूजता है।

3- वज्रयान (तांत्रिक बौद्ध धर्म)

वज्रयान, को तांत्रिक बौद्ध धर्म भी कहा जाता है, यह सम्प्रदाय महायान के तत्वों को अपनाते है, और तांत्रिक विधियों पर कार्य करते है। ये तांत्रिक बौद्ध धर्म मुख्यतः तिब्बत, भूटान और मंगोलिया में प्रचलित है।

इसके कुछ विशेषताएँ:

ध्यान, मंत्र, और तांत्रिक अनुष्ठानों पर ध्यान दिया जाता है।

वज्रयान सम्प्रदाय में गुरु (लामा) की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है।

इसे “तिब्बती बौद्ध धर्म” भी कहा जाता है।

बुद्ध धर्म के देश और उनकी जनसंख्या ( 2024 अनुमान )

पिछले साल 2024 के अनुसंधान के अनुसार,बिस्वो में कई देशो को मिलकर बुद्ध धर्म की जनसंख्या लगभग 506 मिलियन (50.6 करोड़) है, और ये पापुलेशन विश्व की कुल जनसंख्या का लगभग 6.6% है। और धीरे धीरे बढ़ता ही जा रहा है।

10 देशों में बौद्ध धर्म की जनसंख्या (2024 अनुमान)

देशबौद्ध जनसंख्याकुल जनसंख्या का प्रतिशत
चीन244 मिलियन18.2%
थाईलैंड64 मिलियन93.2%
जापान46 मिलियन36.2%
म्यांमार38 मिलियन87.9%
वियतनाम14 मिलियन16.4%
श्रीलंका14 मिलियन70.2%
कंबोडिया14 मिलियन96.9%
दक्षिण कोरिया11 मिलियन22.9%
भारत9 मिलियन0.8%
मलेशिया5 मिलियन19.8%
Buddhism population list

कुछ बाते जान ले
1- बिस्वो की सभी देशो में से चीन में बौद्ध धर्मावलंबियों की संख्या सबसे ज्यादा है, जो की बुद्ध धर्म की जनसंख्या का लगभग आधा हिस्सा है।
2- थाईलैंड और कंबोडिया, जैसे देशों में बौद्ध धर्म प्रमुख धर्म है, और इन देशो में सबसे ज्यादा इस धर्म का पालन करते है।
3- लेकिन भारत देश में बौद्ध धर्म की जनसंख्या कम है (0.8%), लेकिन यह बौद्ध धर्म का उद्गम स्थल है।

बुद्ध धर्म की कुछ त्योहारों

ये रहे बौद्ध धर्म के त्योहारों की सूची, जो दुनिया के विभिन्न हिस्सों में मनाए जाते हैं:

वेसाक (बुद्ध पूर्णिमा)

यह पर्ब गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति, और मृत्यु की याद में मनाया जाता है।
भारी भरकम में बुद्ध धर्म की ये त्योहारों श्रीलंका, भारत, नेपाल, थाईलैंड, कम्बोडिया, म्यांमार, लाओस, और अन्य बौद्ध देश में अप्रैल या मई की पूर्णिमा में मनाया जाता है।

उलांबाना (घोस्ट फेस्टिवल)

दरसल इस उस्चब को Buddhism religion में पूर्बज को सन्मान और उनके लिए प्राथना करने के लिए मनाया जाता है। और इसे 7त्वे चंद्र महीने का 15बे दिन में मनाया जाता है, और चीन,जापान और कोरिया जैसे देश इस उस्चब को बहुत मात्रा में मानते है।

पाबरना दिबस

बरसात के तीन महीने की समारह पैर ये उस्चब को भिखुओं के द्वारा ख्यमा प्राथना करने के लिए मनाया जाता है। और बुद्ध धर्म की ये त्योहारों को असाड़ से कार्तिक महीने के बिच श्रीलंका थाईलैंड जैसे देशो में मनाया जाता है।

इसके अलाबा भी बुद्ध धर्म की इतिहास में और कई सारे त्योहारों को बिभिर्न देशो में मनाया जाता है। जैसे की
1- लेसारो ( तिब्बती नबबर्ष ) – इसे भूटान और नेपाल में फुरबुरी से मार्च के बिच मनाया जाता है।
2- काठिना समारोहों – इस पर्ब को थाईलैंड और श्रीलंका जैसे देशो में ऑक्टोबर से नवम्बर महीने की बिच में मनाया जाता है।
3- हनमास्तुरी ( फूलो का त्योहारों ) – दरअसल इस त्योहारों को जापान देश में 8 अप्रैल के दिन मनाया जाता है।
4- ओ-बन ( बन त्योहारों ) – इस त्योहारों को भी जापान में अगस्त के महीने में मनाया जाता है।

भारत में बुद्ध धर्म की काहानी

जैसे की हमने ये लेख के शुरुआत में ही सिद्धर्थ गौतम का जीबन की बात की है, की कैसे सिद्धर्थ गौतम का जन्म भारत की नेपाल के लुंबिनी में 563 ईसा पूर्व में एक शाक्य वंश में हुआ था, सिद्धर्थ ने 29 बर्ष की आयु में ही सत्य की खोज का निर्णय लेते है, और परिबार और घर का त्याग कर देते है। और 35 वर्ष की आयु में बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त करके, बाद में जा कर सिद्धर्थ गौतम ही गौतम बुद्ध कहलाते है।
तो देखा जाए तो ये बात सच है की, बुद्ध धर्म का आरम्भ भारत में ही हुआ था।

भारत में बुद्ध धर्म का प्रसार

भगबान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति करने के बाद 45 वर्षों तक अलग अलग स्थानों में अपना उपदेश दिए। गौतम बुद्ध की उपदेशों में अहिंसा, करुणा, मध्यम मार्ग और दुःखों से मुक्ति कैसे पाया जाए ये बताया जाता था। वाराणसी के पास सारनाथ में गौतम बुद्ध ने अपना पहला धर्मचक्र स्तापन किआ, और साथ ही पंचवर्गीय भिक्षुओं को उपदेश दिया की यहीं से बौद्ध संघ की स्थापना हुई। बाद में उनके एक सिस्य थे अनुयायियों उन्हें भारत के विभिन्न हिस्सों में भेजा गया, ताकि उनके उपदेश तेजी से फैलने फेल जाए।

अशोक सम्राट और बुद्ध धर्म की काहानी

देखा जाए तो सम्राट अशोक का शासनकाल के समय में, बौद्ध धर्म बिकसित हुआ है। 261 इर्षा पूर्ब में कलिंग युद्ध के बाद सम्राट अशोक ने अहिंसा और बौद्ध धर्म को अपना लिया। अशोक ने बौद्ध धर्म की प्रचार करने के लिए अनेक स्तूप, विहार और स्तंभ बनवाए। और साथ ही उन्हने धर्म महामात्र बनाये और अपने पुत्र महेंद्र तथा पुत्री संघमित्रा को श्रीलंका में बौद्ध धर्म का प्रचार करने के लिए भेजा। इसकी बजह से मौर्य साम्राज्य के विस्तार के साथ बौद्ध धर्म का बिस्तार होने लगा।

गुप्त काल और बौद्ध धर्म की कथा

गुप्त साम्राज्य ने भी बौद्ध धर्म का प्रसार करने में काफी मदत की है, लेकिन इस काल में ही ब्राह्मण का धर्म पुनरुत्थान हुआ। फिर भी, नालंदा, तक्षशिला और विक्रमशिला जैसे बौद्ध शिक्षा केंद्र इसी काल में स्थापित हुए।

भारत में बुद्ध धर्म की पतन का कारन

भारत में बुद्ध धर्म की इतिहास को देखा जाए तो, ये धर्म एक समय में भारत का प्रमुख धर्म था, पर धीरे-धीरे समय के साथ अपने मूल स्थान से विलुप्त हो गया। हाँ पैर आज भी बुद्ध धर्म विश्व के कई देशों में प्रचलित है, लेकिन भारत में इसका प्रभाव थोड़ा सा कम हो गया। बुद्ध धर्म का बिलुप्त होने के पीछे अनेक कारण थे, जिसे की आगे हम विश्लेषण किए है।

1- हिंदू धर्म का पुनरुत्थान

ये भी माना जाता है की हिन्दू धर्म का पुनरुत्थान होने के बाद बुद्ध धर्म का पतन धीरे-धीरे होने लगा। साथ ही उस काल में शंकराचार्य ने अद्वैत वेदांत का प्रचार किया, जो की Buddhism religion को चुनौती दी। और उसके बाद हिंदू धर्म ने बुद्ध धर्म के कई सिद्धांतों को आत्मसात करने लगा, जिससे बुद्ध धर्म कमजोर हो गई।

2- आंतरिक विभाजन

बुद्ध धर्म का बिकास के साथ साथ बुद्ध धर्म के भीतर विभिन्न सम्प्रदायों के बिच कई अनबन और मतभेद भी बुद्ध धर्म का पतन का एक बड़ा कारण है। हीनयान, महायान, वज्रयान जैसे सम्प्रदायों के आपसी मतभेदों और तर्क-वितर्कों ने धर्म को कमजोर किया। जिसे की बुद्ध धर्म का समाज एकजुट नहीं हो पाया।

3- विदेशी आक्रमण

अकसर भारत देश पर बाहरी देशो ने आक्रमणों करते थे, और ये कारन भी बुद्ध धर्म का पतन का एक बड़ा कारण है। एक समय में तुर्क और मुस्लिम आक्रमणकारियों ने बौद्ध मठों और विहारों को नष्ट कर दिया। नालंदा और विक्रमशिला जैसे बौद्ध शिक्षा केंद्रों का विध्वंस बुद्ध धर्म का पतन का कारण बना।

इन सभी कारणों के बाबजूद और भी कई कारन है, जो की बुद्ध धर्म का पतन का कारण है। जैसे की
तांत्रिक परंपराओं का प्रभाव
जनता का मोहभंग
आर्थिक कारण
सामाजिक परिवर्तनों का प्रभाव अदि।

भारत में 5 बुद्ध मंदिर का लिस्ट

  • 1- महाबोधि मंदिर (बिहार)
  • 2- सांची स्तूप (मध्य प्रदेश)
  • 3- धमेख स्तूप (सारनाथ, उत्तर प्रदेश)
  • 4- कुशीनगर मंदिर (उत्तर प्रदेश)
  • 5- थिकसे मठ (लद्दाख)

1- महाबोधि मंदिर (बिहार)

इस मंदिर में ही गौतम बुद्ध ने बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त किया था।
यहां बोधि वृक्ष का वंशज भी मौजूद है।

2- सांची स्तूप (मध्य प्रदेश)

सांची स्तूप मंदिर सम्राट अशोक के द्वारा निर्माण किआ गया था, जो की बौद्ध कला और वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है।
यहाँ पर भगबान बुद्ध की कहानियों को दर्शाने बलि नक्काशीदार तोरण द्वार हैं।
और वैसे भी यह स्थान प्राचीन बौद्ध धर्म के अनुयायियों का केंद्र था।

3- धमेख स्तूप (सारनाथ, उत्तर प्रदेश)

इसी स्तान में ही गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था।
धमेख स्तूप एक गोलाकार बीसिस्ट संरचना है जो बौद्ध धर्म की महानता को दर्शाता है।
धमेख स्तूप के साथ इसके आसपास के क्षेत्र में कई अन्य ऐतिहासिक स्थल भी हैं।

4- कुशीनगर मंदिर (उत्तर प्रदेश)

कुशीनगर मंदिर को गौतम बुद्ध के महापरिनिर्वाण स्थल भी कहा जाता है।
इसी स्तान पर गौतम बुद्ध की लेटी हुई अवस्था का एक प्रतिमा स्थित है।
कुशीनगर बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक पवित्र स्थान है।

4- थिकसे मठ (लद्दाख)

थिकसे मठ हिमालय में स्थित है, और ये एक प्रभावशाली बौद्ध मठ है।
इस मठ को “लद्दाख का मिनी पोटाला” कहा जाता है।
इसी स्तान पर गौतम बुद्ध की 15 मीटर ऊँची मूर्ति और अन्य बौद्ध ग्रंथ संग्रहित हैं।

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निस्कर्स

बौद्ध धर्म का इतिहास भारत के साथ पुरे विश्व में मानवता के लिए एक प्रेरणादायक मार्गदर्शक है। गौतम बुद्ध की शिक्षाएँ समाज पर करुणा, अहिंसा और आत्मज्ञान पर टिका है। बौद्ध धर्म ने भारत की सांस्कृतिक संरचना को समृद्ध किया,उसके साथ साथ एशिया और अन्य क्षेत्रों में भी शांति, सहिष्णुता और आध्यात्मिकता का संदेश फैलाया।

बौद्ध धर्म का इतिहास से हमें यह सिख मिलती है कि कैसे एक एकेला व्यक्ति का ज्ञान और प्रयास पूरी दुनिया को एक नई रहा दिखा सकती है। साथ ही बुद्ध धर्म लोको को आत्म-मूल्यांकन, आंतरिक शांति और एक बेहतर समाज निर्माण करने के लिए प्रेरित करता है। अभी के समय में भी बौद्ध धर्म की ज्ञान जीवन को एक नई दिशा देने के लिए मार्गदर्शक बनी हुई हैं।

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