Vat Savitri Vrat 2025 आज है 26 तारीख सावित्री व्रत का दिन: पालन करे ये सभी प्रक्रिया और पूजन विधि

Savitri Vrat 2025: Savitri Vrat के दिन वट वृक्ष यानि की बरगत की पेड़ का पूजा किआ जाता है।

  • इसी दिन सभी सुहागन महिलाए ब्रम्ह मुहूर्त की समय में उठ कर स्नान करके सूर्य देवता को अर्घ्य प्रदान कीजिये।
  • इसके पश्चात सभी महिलाए श्रृंगार करके वट बृक्ष के निचे पूजा की शुरुआत करे।
  • पूजा के दौरान धुप और अगरबत्ती जलाये और फिर इसके बाद वट बृक्ष की सात बार परिक्रमा करके savitri vrat का पाठ कीजिये।
  • अंत में भोग लगाए और फिर गरीबो में अर्न,बस्त्र और धन का दान कीजिये।
  • ध्यान देने बलि बात ये है की vat savitri vrat की पूजा के बाद पुरे दिन किसीसे भी बाद-बिबाद ना करिए, और किसीके प्रति गलत बिचार का आगमन अपने मन में ना आने दे।

Savitri Vrat के लिए पूजन सामग्री

  • दीप बति
  • घी
  • पान और सुपारी
  • गंगाजल
  • पबित्र जल
  • केले की पत्ते
  • सिंदूर
  • रोली
  • हल्दी
  • नयी बस्त्र ( लाल/पीला )
  • लाल या पीला की फूल और फूल की माला
  • भीगा हुआ काला चना
  • बांस का पंखा
  • कलवा या सफ़ेद सूत ( हल्दी में रंगा हुआ )
  • मिट्टी का घोडा
  • ताम्बे के लोटे में गंगाजल
  • वट बृक्ष की डाल
  • धुप बति
  • फल जैसे आम, लीची और तरबूज
  • मिठाई

Vat Savitri Vrat 2025 का सुभ मुहूर्त

आज Savitri Vrat Puja के दिन बरगत की पेड़ की पूजा की जाती है। आज सुबह 4 बजकर 3 मिनट से लेकर 4 बजकर 44 मिनट तक ब्रह्म मुहूर्त का समय है, और वही दूसरी तरफ बिजय मुहूर्त की समय दोपेहेर की 2 बजकर 36 मिनट से लेकर 3 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। कहा गया है की यही सुभ मुहूर्त के समय के अंदर Savitri Vrat Puja करने से सुभ फल की प्राप्ति होती है।

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Vat Savitri Vrat 2025

साल में Vat Savitri Vrat को दो बार मनाया जाता है। 2025 का पहला savitri vrat 26 मई यानि की आज मनाया जायेगा, और ये व्रत जेस्ट अमाबस्या बाला सावित्री व्रत होगा।
वही इसी साल का दूसरा सावित्री व्रत 10 जून को मनाया जायेगा, और ये पूर्णिमा बाला vat savitri vrat होगा।

Savitri Vrat क्यों पालन किआ जाता है?

हमारे भारतीय समाज में हिन्दू पौराणिक कथा के हिसाब से Savitri Vrat Puja पति की लम्बी उम्र, संतान सुख और सुखी बैबाहिक जीबन के लिए पालन किआ जाता है। मई की महीने में मनाया जाने बाला ये पर्ब सत्यवान और सावित्री की कहानी से जुडी हुई है, इसी दिन ही सती सावित्री ने यमराज के कबल से अपने पति की प्राण बापस लाए थे, सती सावित्री की चालाकी और पतिब्रता को देख कर यमराज को सत्यवान की प्राण लौटना पड़ा था।

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और तब से लेकर आज तक हर साल सभी महिलाए सावित्री की ये पतिव्रता को देखते हुए Vat Savitri Vrat पूजा करते आ रहे है।

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