हमारे हिन्दू धर्म में माँ सरस्वती को शिक्षा और ज्ञान की देवी और साथ ही संगीत, कला और बाणी की भी देवी कहा जाता है। बिद्या की देबि सरस्वती का बसंत पंचमी के दिन पूजा की जाती है। आज 2 फरवरी को बिद्या की देबि सरस्वती की पूजा की जाएगी। देबि सरस्वती की ये पर्ब को बसंत पचंमी पर्ब भी कहा जाता है।
अक्सर लोग पूछते है, इसी दिन ही सरस्वती पूजा क्यों की जाती है?
जबाब है: इस दिन ही मां सरस्वती का जन्म हुआ था, और इसलिए इसी दिन ही विद्यार्थी, शिक्षक और कलाकार विशेष रूप से मां सरस्वती की पूजा करते हैं। मां सरस्वती ज्ञान के साथ-साथ सभी गुणों में निपुण है, इसीलिए इस दिन को श्री पंचमी, माघ पंचमी या बसंत पंचमी के नाम से भी जाना जाता हैं।
Saraswati Puja 2025 के दौरान करे ये 5 चीजे
1- बिद्या की देबि सरस्वती की पूजा और मंत्रोच्चारण
- आज माँ सरस्वती को सफेद फूल, चावल, हल्दी और पुस्तकें अर्पित करें।
- “ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः” मंत्र का जाप करें।
2- आज पुस्तकों और वाद्ययंत्रों की पूजा जरूर करे
- ज्ञान और संगीत की देवी होने के कारण, अपनी किताबें, पेन, वाद्ययंत्र आदि उनकी मूर्ति के पास रखें, और पूजा करे ।
3- आज सरस्वती पूजा पर सफेद और पीले रंग के वस्त्र धारण करें
- सफेद और पीला रंग विद्या की देबि सरस्वती को प्रिय है, इसलिए इन रंगों के वस्त्र धारण करे।
4- मीठे पकवानों का भोग लगाएं
- खीर, मालपुआ, बेसन के लड्डू और फल अर्पित करें।
5- पूजा के दौरान विद्या आरंभ और भजन-कीर्तन करें
- सरस्वती पूजा के दिन छोटे बच्चों को पढ़ाई की शुरुआत कराना शुभ माना जाता है।
- माँ सरस्वती के भजन और कीर्तन करें।
Saraswati Puja 2025 तिथि
2025 की हिंदू कैलेंडर के हिसाब से, सरस्वती पूजा कार्य आज 2 फ़ेरबरी रबिबार को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, 2 फ़ेरबरी की पंचमी तिथि रविवार को सुबह 09:14 बजे से शुरू होकर 3 फरवरी, सोमवार को सुबह 06:52 मिनट में समाप्त होगी। इस प्रकार से अगले महीने की दो तारीख को सरस्वती पूजा कार्य की जायेगी।
सरस्वती पूजा 2025 में सटीक मुहूर्त
सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त की बात करे तो ये आज सुबह 07.09 मिनट से लेकर 12.35 मिनट तक है। यानि की सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त 5 घंटे 26 मिनट तक रहेगा। और अगर आप इन्ही समय सिमा के अंदर पूजा नहीं कर पते हो, तो दिन के किसी भी समय पूजा कर सकते हो। क्यों की वो पूरे दिन अबूझ मुहूर्त रहेगा।
सरस्वती पूजा की पूजन बिधि
सरस्वती पूजा की पूजन बिधि की बात करे तो, इन सभी चीजों का ध्यान रखना पड़ेगा।
स्नान और संकल्प:
- स्नान करके स्वच्छ बस्त्र धारण करे।
- पूजा स्तल पर हात में जल लेके संकल्प करे
माँ सरस्वती की आराधना:
- माँ सरस्वती की प्रतिमा पर हल्दी और कुमकुम लगाए।
- फूल अर्पित करे, फिर दीपक जलाकर धुप दिखाए।
पुस्तको की पूजा:
- खुद की पुस्तक, पेन कलम और अन्य सामग्री माँ के चरण में रखे।
- उन पर फूल और दिप चढ़ाए।
संगीत और भजन:
- माँ सरस्वती के मंत्र का उच्चारण करे।
- भजन या फिर सरस्वती बन्दना गाएँ ( या कुंदेंदु तुसार हार धबला )
प्रसाद चढ़ाना:
- खीर,फल और अन्य प्रसाद माता सरस्वती को अर्पित करे।
- अंत में सभी प्रियजन के साथ प्रसाद ग्रहण करे।
सरस्वती बन्दना मंत्र
या कुन्देन्दु तुषार हार धवला, या शुभ्र वस्त्रावृता।
या वीणावर दण्ड मण्डितकरा, या श्वेत पद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकर प्रभृतिभिः देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेष जाड्यापहा॥
मंत्र का अर्थ:
- जो मंद हंसी से चमकती है, चंदिनि और बर्फ के सामान सफ़ेद है।
- जो सफ़ेद बस्त्र धारण करती है, वो हातो में बीणा धारण करने के सामान है।
- जो कोई भी श्येत कमल पर बिराजमान है, वो ब्रह्मा, बिष्नु और महेश द्वारा पूजित है।
- माँ सरस्वती हमारे जीबन की अज्ञानता को हमेशा के लिए दूर करे।
माँ सरस्वती को अर्पित करे ये चीजे
आज बिद्या की देबि सरस्वती को उनकी पूजा के दौरान कुछ विशेष सामग्रियाँ अर्पित की जाती हैं, जो ज्ञान की देवी को प्रसन्न करने के लिए उपयोग की जाती हैं। निचे हमने उन सभी चीजों का लिस्ट प्रदान किए है।
- पुष्प (फूल)
- अक्षत (साबुत चावल)
- वस्त्र (सफेद या पीले रंग के कपड़े)
- मिष्ठान्न (मीठे प्रसाद)
- कलम और किताब
- वीणा और संगीत से जुड़े वस्त्र
- हल्दी और कुंकुम
- ध्यान और भजन
- सफेद तिल और दूध
- दीपक और अगरबत्ती
सरस्वती पूजा में पिले रंग का महत्व्य
सरस्वती पूजा में पीले रंग ज्ञान, बुद्धि, सकारात्मकता और ऊर्जा को दर्शाता है। और ये पीला रंग प्रकाश और रचनात्मकता को भी दर्शाता है, जो की माँ सरस्वती के गुणों के साथ मेल खाता है। और भी कहा जाए तो पीले रंग को शांति, स्थिरता और आनंद का प्रतीक भी माना जाता है। वसंत पंचमी जो बसंत ऋतु में आता है, और इस ऋतु का मुख्य रंग पीला होता है।
बिद्या की देबि सरस्वती को पीला रंग बहुत ज्यादा पसंद है, इसलिए ही माँ सरस्वती की प्रतिमा के ऊपर पूजा के दौरान पीले वस्त्र और पीले फूल, चढ़ाना शुभ माना जाता है। और इस दिन को पीले भोजन का भी विशेष महत्व होता है, जैसे खिचड़ी या मिठाई।
सरस्वती को बिद्या की देबि क्यों कहा जाता है?
माँ सरस्वती को विद्या की देवी कहा जाता है, क्योंकि माता सरस्वती ज्ञान, बुद्धि, शिक्षा, संगीत और कला की अधिष्ठात्री देवी हैं। माता के हाथों में वीणा संगीत और कला का प्रतीक है, जो की पुस्तक ज्ञान और शास्त्रों का प्रतिनिधि करती है। माता सरस्वती के बजह से अज्ञानता जैसे अंधकार का बिनस करके ज्ञान का प्रकाश पुरे जगत में फैलाती हैं। माँ सरस्वती का हंस पर विराजमान होना शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। विद्या, कला और शिक्षा को जीबन में हासिल करने के लिए माँ सरस्वती की पूजा की जाती है।
रबी योग
गणित के हिसाब से 2 तारीख को सिक्ष्या और देवी सरस्वती का पूजा के दिन रबी योग रात 12:52 बजे से सुरु होगा और 3 फ़ेरबरी को प्रातः 7:08 बजे तक रहेगा।
शिव योग
2 फ़ेरबरी को सरस्वती पूजा के दिन प्रातः काल में शिव योग का निर्माण होगा और फिर ये 9:14 मिनट तक रहेगा। शिव योग समय के अंत के बाद सिद्ध योग का समय प्रारम्भ होगा, जो 3 फ़ेरबरी को दुबह 6:06 बजे तक रहेगा।
सरस्वती पूजा 2025 से 2030 तक का तारीख
अक्सर माँ सरस्वती की पूजा वसंत पंचमी के दिन की जाती है,और ये माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को पड़ती है। हमने 2025 से 2030 तक वसंत पंचमी की तिथियाँ की तारीख के साथ दिन भी निम्नलिखित में प्रदान की हैं:
वर्ष | वसंत पंचमी की तिथि | दिन |
2025 | 2 फरवरी | रविवार |
2026 | 23 जनवरी | शुक्रवार |
2027 | 11 फरवरी | गुरुवार |
2028 | 31 जनवरी | सोमवार |
2029 | 19 जनवरी | शुक्रवार |
2030 | 7 फरवरी | गुरुवार |
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