15 ऐसी Mahabharat Lesson जो की आज के समाज में लाएगा परिबर्तन

Mahabharat Lesson: जीबन में एक बार प्रतेक ब्यक्ति को महाभारत पढ़ना चाहिए। मनुस्य के जीबन में जो घटना घटती है, या जो होने बाला है, उन सभी बिसयो पर महाभारत में उलेख किआ गया है, सिर्फ इतना ही नहीं महाभारत हमें धर्म, ज्ञान, राजनैतिक कला, रिस्तो के बारे में और बिज्ञान जैसे बिसयो पैर भी महाभारत में बात की गयी है.

महाभारत हिन्दू पौराणिक महाकाब्य में से एक है, जिसके बारे में हमने हाली में महाभारत सच होने की बिसय पैर चर्चा किए थे, ताकि लोग जान पाए, पैर आज हम 15 ऐसी महाभारत की सिख्या के बिसय पैर बात करेंगे। जिसे की मनुस्य को पता चल सके की आखिर इस समाज में जीना कैसे है.
हर मुश्किल का सामना कैसे किआ जाए?
हम हामारे दुश्मनो को कैसे पहचाने?

और हम बता दे की इन सभी जानकारी हमने यहाँ से ली है

तो आओ हम जानते है 15 ऐसे ज्ञान के बारे में, जो की हमें महाभारत से मिलती है.

1-जीबन में गोपनीयता जरूरी है

गोपोनियता का महत्व सभी जगह पैर लागु होता है, भाबना में बेहेकर हम अक्सर सामने बाले को अपनी राज या कुछ ना बताने बलि बात केहे देते है, बुद्धिमान ब्यक्ति अक्सर इन जैसे लोगो का फाइदा उठाते है,जिसे की बाद में दुःख प्रतीत होता है और हमारा नुकसान भी हो सकता है.

1- दुर्याधन
2 – पितामहों भीष्म
3 – बर्बरीक
इन सभी योद्धा उदारण है जिन्होंने अपनी मौत का राज केहेने पैर इनकी बढ़ छल से की गयी थी, इसलिए जीबन में गोपनीयता जरूरी है.

2-इंसान को पेहेचान ने की कला सीखो

जीबन में पल पल पैर कई अचे लोग आएंगे और कई बुरे लोग भी आएंगे, कौन हमारा दुसमन है ये कहे पाना बहुत मुश्किल है, महाभारत में भी ऐसे कई लोग थे जिन्होंने अपनी ही मित्र के साथ धोका किआ जैसे की राजा सल्य और युयुस्तृ, तो ये कहे पाना मुश्किल है की कौन हमारा दुसमन और कोण हमारा दोस्त है.

असली दोस्त की पेहेचान

1-सुख- दुख में साथ
दोस्त मुश्किल समय में बिना बुलाये मदत करेंगे
अच्छे और बुरे समय में सामान रूप से आपके साथ रहते है

2-ईमानदारी से सलाह
दोस्त हमेसा गलतियो को टोकता है और सही सलाह देता है

3- प्रगति से खुसी
सच्चा दोस्त आपकी तरकी देख कर खुस होना चाहिए न की दुख

दुश्मन की पेहेचान

1- पीठ पीछे बुराई करना
दुश्मन सामने मीठी बात करके पीठ पीछे आपकी निंदा करेगा

2- बार बार धोका देना
कोई अगर बार बार आपकी भरोसे को तोड़ता है, तो उसे दुश्मन की तरह देखना सुरु कर दो

3- चापलूसी करना
जो लोग सामने मीठी बात करके, दिल में आपकी प्रति बुरा सोच रखते है, उनसे साबधान रहिये।

3-परिबर्तन ही संसार का नियम है

महाभारत जैसी महाकाब्य में ये दर्शाया गया है की समय और परिस्तिति के साथ परिबर्तन ही संसार का नियम है. महाभारत की कई घटनाओ से हमें Mahabharat Lesson प्राप्त होता है.

जैसे की युध के आरम्भ में पांडव और कौरवो के बिच सन्ति प्रस्ताब रखा गया था, ताकि युध को टाला जा सके, लेकिन परिस्तिति इतनी बदल गयी की अंत में महाभारत का महा युध हो गया.

हर क्षेत्र में परिबर्तन होता है, आदमी जबानी से बृद्ध होता है, गरीब समय के साथ अमीर होता है, एक छोटा सा पौधा समय के साथ बिसाल काय बृक्ष्य में परिबर्तन होता है,

कृष्ण के द्वारा गीता में अर्जुन को कहा गया है की कुछ परिस्तिथिओ में धर्म का पालन करने के लिए युध आबस्यक है, इसमें दर्शाया जाता है की कैसे महाभारत में सन्ति का समय युध में परिबर्तित हो जाता है.

4-इन्द्रिय को संयम में रखना जरूरी है

सबसे कठिन कार्य है इन्द्रिय को संयम में रखना, इन्द्रिय कभी भी तृप्त नहीं होती, जिस भी इंसान इन्द्र्य के बस में है उसका पतन निस्चय है कई क्षेत्र में उसका हानि होगा।
इसमें हम नसे की आदत को ही नहीं बल्कि हर क्षेत्र के ख़राब आदत को चढ़ना होगा, जैसे की गलत बिचार, बिद्यार्थि का पढाई से मन हटना, कीमती समय का दुरुपयोग करना, ये सब गलत है, और इन सभी क्षेत्र में हमें अपनी इन्द्रियों को संयम में रखा होगा।

5-मुँह से निकली हुई सब्द तलबार से ज्यादा घातक होता है

महाभारत का युध नहीं होता अगर कुछ लोग अपने बचन पैर सयम रख लेते, इन्द्रप्रस्त में जब दुर्योधन गलती से जल से भरे कुंड में गिर जाते है तभी द्रोपदी के द्वारा दुर्योधन को अंधे का पुत्र अँधा कहा जाता है, जिसकी बझा से द्रोपदी का चीरहरण किआ गया था, और सिसुपाल का भी अंत उसकी बचन के बजह से हुई थी, भगबान श्री कृष्ण ने सिसुपाल का 100 अपमान भरा बाक्य को सहने की बचन दिए थे, और सिसुपाल को ज्ञांत ही नहीं हुआ की कब उसकी 100 अपराध हो गया, 101 अपराध में उसका भी श्रीकृष्ण के द्वारा बढ़ हो जाता है,
महाभारत के सबक से हमें ये पता चलता है की बोलने से पेहेले हमें सोच लेना चाहिए की इसका परिणाम क्या होगा

6-हमेसा सेही के लिए खड़े रोहो

ये एक ऐसा सचाई है जो की हमें धर्म और न्याय की तरफ चलने के लिए प्रेरणा देता है. चाहे कुछ भी हो जाए,
उदाहरण को देखो:
अर्जुन का अपने ही परिबार लोगो के साथ युध करना आसान नहीं था, और ये किसी भी इंसान के लिए आसान नहीं है, पैर फिर भी उन्हने
सही के पक्ष्य में खड़े हो कर युध किए, क्यों की भगबान श्रीकृष्ण के द्वारा उन्हे कहा गया था हमेसा धर्म के लिए खड़ा होना चाहिए, चाहे हामारे सामने कोई भी हो.
और ये सिर्फ एक ही नहीं महाभारत के जीबन मंत्र में ऐसा अनेक उदाहरण है, पितामहों भीस्म भी इसका उदाहरण है,
और इसी तरह से महाभारत हमें सिखाता है, की चाहे कितनी भी कठिनता आये हमें सही के लिए खड़े रहना चाहिए।

7-प्रतिशोध लेना ही समस्या का समाधान नहीं है

ये एक ऐसी सिख्या है जो हमें प्रतिशोध की भाबना को छोड़ कर धर्य और समझदारी से निर्णय लेने में सहायता करती है, पर इस बिसय में Mahabharat Lesson से हमें क्या सीखने को मिलती है?
Ans :- दुर्यधन ने पांडव के खिलाप कई सारे गलत निर्णय लिए थे, जिनका परिणाम स्वरूप महाभारत युध के बाद कोरब का बिनस हो गया, अगर दुर्यधन ने प्रतिशोध लेने के बजाये समजदारी और धैर्य से काम लिए होते तो कुरुबंस का नास नहीं होता।
भगबान श्रीकृष्ण के ज्ञान के अनुसार भी हर समस्या का समाधान प्रतिशोध लेना नहीं बल्कि संयम रखना और सही निर्णय लेना होता है.

8-सेही सांगत ही जीबन में परिबर्तन लाता है

अगर अप्प अच्छे परिवार से अच्छे गुण लेके पैदा हुए हो पैर अगर आपकी सांगत बुरी हो तो अप्प बर्बाद हो जायेंगे। लेकिन यदि अप्प बहुत ज्यादा बुरे है पैर आपकी सांगत अछि लोग से है और आप उनसे सीखते है, त निश्चित रूप से अप्प सही रास्ते में आ जायेंगे।

महाभारत में मामा सकुनी के बजह से दुर्यधन बुरे मार्ग पैर चलना सुरु किआ, और अंत में उसका ही बिनास हो गया, तो सीखने बाली बात ये है की सकुनी मामा जैसी अगर आपकी संगत है तो आपका बिनास निश्चित है समझ लो,
जीबन में नकारात्मक सोच बाले लोगो के साथ रहोगे तो आपकी बिचारो पैर भी नकारात्मक प्रभाब रहेगा।

9-हमेसा जुए और सट्टे बाजी से रहे दूर

पांचो पांडव ने जुए खेल के चलते अपना सबकुछ दाओ पैर लगा दिए थे, इसमें पांडव को अपनी पत्नी द्रोपदी को भी दाओ पैर लगाना पड़ा था, तो सीखने बलि बात ये है की हमेसा जुए और सट्टे बजी से दूर रहे, ये चीज़ इंसान को अंदर से खोकला कर देता है, इसलिए जितना हो सके जुए से दूर रहे.

10-सदा सत्य के साथ रोहो

महाभारत युध में कोरोबो के तरफ बड़े बड़े महारथी थे भीष्म और कर्ण जैसे। पांडव के सेना दुर्बल थे कोरोबो के अप्पेख्या, पैर श्रीकृष्ण पांडव के तरफ थे, और कथा है जिसकी रख्या भगबान करते हो उसका कोई क्या बिगड़ लेगा, इसलिए सदा सत्य के साथ रोहो, क्यों की भगबान सत्य का साथ देते है, बिजय आपकी ही होगी।

11-अधूरा ज्ञान खतरनाक होता है ( अभिमन्यु जैसे )

हमें महाभारत के सबक से ये भी सीखने को मिलती है की ज्ञान का सही उपयोग तभी सम्भब है जब वो सम्पूर्ण हो, क्यों की अधूरा ज्ञान हमेसा खतरनाक होता है।
उदाहरण में
अभिमन्यु को देखो अभिमानु का चक्रब्यूह में प्रबेश। अपनी माँ की गर्भ में ही चक्रब्यूह में प्रबेश करने की ज्ञान उसने प्राप्त कर ली थी पैर चक्रब्यूह से निकलना कैसे है उसका ज्ञान अभिमन्यु को नहीं था। युध के दौरान अपने अधूरे ज्ञान के साथ उसने चक्रब्यूह में प्रबेश किआ पैर वाहा से निकल नहीं पाया जिसकी बजह से अभिमन्यु का मृत्यु हो जाती है।
और ये सिर्फ एक उदाहरण नहीं है, महाभारत में कर्ण ने भी अधूरे ज्ञान के साथ प्राण त्याग किआ ऐसे कई उदाहरण है। इसलिए सभी क्षेत्र में पूर्ण ज्ञान होना चाहिए।

12-मजबूत महिला बोनो ( द्रोपदी जैसी )

सभी महिलाये इसे ध्यान से पढ़े।
द्रोपदी का चरित्र इस बात का प्रमाण है की महिला कमजोर नहीं होती है। महिलाये किसी भी अन्याय का सामना कर सकती है।
सभा में जब द्रोपदी को आसनमान किआ गया, तब द्रोपदी ने सबके सामने प्रस्न उठाए की एक नारी का अपमान इस सभा में क्यों किआ जा रहा है, पैर किसीका भी कोई जबाब नहीं, कितने निर्यातना दिआ गया द्रोपदी को फिर भी उसने हर नहीं मानी। उसने समय और धैर्य को अपने अंदर समाह लिए, और सभी कठिनाओ का हिमत पुर्बक सामना किआ। आज की हर महिलाओ को द्रोपदी जैसी मजबूत और साहसी बननी चाहिए।

13-जो होता है अचे के लिए होता है

‘जो होता है अच्छे के लिए होता है’ ये सब्द से हमें ये सीखने को मिलती है चाहे जीबन में कितना भी कठिन परिस्तिति आये, हमें हर एक परिस्तिति को धर्यपूर्बक सामना करना चाहिए, क्यों की समय बदलता रेहेता है, दुख के बाद ख़ुशी का समय जरूर आएगा।
इसलिए Mahabharat Lesson हमें सिखाता है की हर एक परिस्तिति में निरास हो कर बैठने से अच्छा मन में एक बिस्वास लाना चाहिए की ‘ जो होता है अच्छे के लिए होता है’

14-अहंकार और घमंड पतन का कारन है

महाभारत में सबसे अधिक अहंकार और घमंड दुर्याधन के पास था। जब श्रीकृष्ण ने पांडव के तरफ से सन्ति प्रस्ताब रखने के लिए सलाह दी तब दुर्यधन ने अहंकार से उस प्रस्ताब ठुकरा दी, और उसका ये अहंकार के बजह से महाभारत युध में उसका पतन हो गेया।

Mahabharat Lesson के ये सब्द अहंकार और घमंड पतन का कारन है, हमें जीबन में बिनम्रता और सन्ति आपनाने की प्रेरणा देता है।

15-कभी हार मत मनो

जिबम में हालात कितने भी बुरे हो हमें धैर्य और संघर्ष से आगे बढ़ना चाहिए।
1- अर्जुन से सिख
युध के दौरान कई ऐसे बढ़ा अर्जुन के सामने आई, युध में उसका परिबार ही उसका सत्रु था, जिसे की अर्जुन बिबस हो गए थे लेकिन भगबान श्रीकृष्ण के सहायता से अर्जुन ने सीखा की कर्म करना ही सच्चा धर्म है। चाहे कितने भी कठिनाई आये हमें हर नहीं माननी चाहिए ईमानदारी से कर्तब्य का पालन करना चाहिए।
2- अभिमन्यु से सीखे
महाभारत युध के दौरान जब अभिमनु चक्रव्यूह में फस गए थे, तभी उनके पास बाहार निकलने की कोई रास्ता नहीं था, पैर फिर भी उन्होंने बहादुरी से संघर्ष किआ, जीबन के अंतिम समय तक उन्होंने अपनी बीरता का प्रदसन किआ, इसे हमें सिख मिलती है की जीबन के हर परिस्तिति में हमें धैर्य और साहस बनाये रखना चाहिए।

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